Tuesday, 21 July 2020

सिर्फ जौन एलिया की शेरो शायरी के लिए नहीं उनको जानने के लिए पढें ये किताब

जो गुजारी न जा सकी हमसे, हमने वो जिंदगी गुजारी है।

इन रूहानी पंक्तियों को लिखने वाले का नाम है जौन एलिया। आज इस नाम से कौन वाकिफ नहीं है?लोग इस शायर के दीवाने हैं। सोशल मीडिया पर इस शख्स की वीडियो लोग बार-बार देखते हैं। कभी ये शायर शायरी पढ़ते-पढ़ते रोने लगता है तो कभी शायरी सुनने वाले रोने लगते हैं। हर कोई जौन को उनकी शायरी से जानता है, उनकी गजलों और नज्मों से जानता है। मगर उनकी जिंदगी कैसी थी? बिल्कुल साधारण या कठिनाईयों से भरी। वे असली जिंदगी में कैसे थे? खुशमिजाज या फिर शायरी ही उनका अक्स है। जौन एलिया के इन्हीं सारे पहलुओं पर एक किताब आई है, जौन एलिया एक अजब गजब शायर।


नौजवान हों या बुजुर्ग जौन एलिया को सब पसंद करते हैं। उनका सोचने का और कहने का ढंग ही कुछ अलग है। लेखक ने उनकी जिंदगी के उन पहलुओं के बारे में बताया है जो शायद आपको और मुझे नहीं पता। ऐसा भी नहीं कि इसमें सिर्फ जौन एलिया के किस्से और जिंदगी के पहलू ही हैं। इन सबके अलावा किताब में जौन की लिखी शायरी, नज्में, गजलें और कायनात भी हैं। अगर आपको जौन एलिया के बारे में जानना है उनकी चुनिंदा शायरी, नज्में और गजलों को पढ़ना है तो ये किताब आपको पढ़ लेनी चाहिए।

लेखक के बारे में

मुन्तजिर फिरोजाबादी 

इस किताब को लिखा है मुन्तजिर फिरोजाबादी ने। उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद से ताल्लुक रखने वाले मुन्तजिर फिरोजाबादी का असली नाम अनंत भारद्वाज है। उनका परिवार चाहता है कि प्रशासनिक सेवाओं में जाएं लेकिन उनका दिलो-दिमाग साहित्य के अलावा कहीं और लगता ही नहीं है। मुन्तजिर लवली यूनिवर्सिटी जालंधर में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। खुद शायरी करते हैं और कवि-सम्मेलनों में भी शिरकत करते हैं। जौन साहब को बहुत मानते हैं मुन्तजिर। उनकी सुबह जौन साहब के शेर से होती है। अक्सर जौन उनकी तबियत और शायरी दोनों में आ जाते हैं। इनसे अगर आप मिलना चाहते हैं तो सबसे अच्छी जगह है फेसबुक।

किताब के बारे में


जौन एलिया एक अजब गजब शायर किताब जौन एलिया की जिंदगी पर है। जौन एलिया भारत में उत्तर प्रदेश के अमरोहा में पैदा हुए। 1947 में भारत आजाद तो हुआ लेकिन उसके दो हिस्से हुए। जौन एलिया का पूरा परिवार पाकिस्तान चला गया लेकिन जौन नहीं गए। 1956 तक जौन अमरोहा मे रहे। 1956 में जौन को अपने फैमिली के पास कराची जाना पड़ा। इस किताब में जौन के एक पहले इश्क के बारे में, उनकी पहली शायरी के बारे में, उनकी पहली किताब के बारे में बहुत सारे किस्से दिए गए हैं। वो अमरोहा में क्या किया करते थे? कराची जाने के बाद भी जौन एलिया अमरोहा को नहीं भूल पाए। वो अमरोहा में बहने वाली बान नदी को कितना याद करते थे?

किताब में बहुत सारे शायर और लोग जौन एलिया के बारे में, उनके किस्से बताते हैं। वो आस्तिक थे या नहीं? इस बारे में भी किताब में बताया गया है। जौन एलिया को समाज के दायरे में रहना पसंद नहीं था? इस बारे में एक जबरदस्त किस्सा है। उनकी बीमारी, परेशानी सबके बारे में बहुत सारे किस्से दिए गए हैं। जो आप पढ़ेंगे तो समझ आएगा कि जौन एलिया क्या हैं? जो अपने खून थूकने पर शायरी लिख दे वो कुछ भी कर सकता है किताब के किस्सों को पढ़ने के बाद समझ आता है कि जौन एलिया जैसा कोई नहीं। उन्होंने जो जिया वही लिखा। कहते हैं शायर जो कहता है वो शायद उसकी जिंदगी में कुछ होता नहीं है। मगर जौन एलिया की शायरी में ऐसा नहीं है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे आज जिंदा होते तो उनका कत्ल कर दिया जाता।


किस्से तो जौन एलिया की जिंदगी के हैं जिनको पढ़ने पर जौन एलिया समझमें आते हैं। मगर पूरी किताब में सिर्फ यही नहीं है। इसमें कुछ फर्नूद हैं। मैंने जब ये नाम पढ़ा तो मुझे नहीं समझ आया क्या है? गूगल किया तो वहां भी कुछ नहीं मिला। इसमें कुछ विषयों पर जौन एलिया के विचार थे तो मुझे लग रहा है कि फर्नूद का मतलब राय है। इसमें मुशायरा, चंद सवाल, रोग, जुर्म, नफरत और नकल जैसे विषयों पर जौन एलिया की राय है। जिसे पढ़ने के बाद समझ आएगा कि जौन क्या सोचते थे? उनके दिमाग में क्या चलता था? इन सबको पढ़ने के बाद तो आप जौन को सिर्फ उनके शायरी के लिए पसंद नहीं करेंग। इसके अलावा आगे तो आपको अपनी और जौर एलिया की फेवरेट चीज मिलेंगी, गजलें और नज्में।

किताब की खूबी


किताब की सबसे बड़ी खूबी तो यही है कि वो जौन एलिया पर लिखी गई है। उसके बाद किस्से बेहतरीन हैं। चाहे वो 8 साल की उम्र में पहले इश्क का हो या दुबई एयरपोर्ट पर हाथ में लहराते शराब की बोतल का हो। इसके अलावा भाषा सरल और सहज तो है लेकिन थोड़ी कठिन भी है। इसमें उर्दू के शब्द बहुत सारे हैं। कई तो ऐसे शब्द हैं जिनका मतलब भी नहीं पता। एक प्रकार से ये अच्छा ही है क्योंकि इससे आपकी उर्दू अच्छी हो सकती है। जिनको उर्दू आती है उनको इसकी भाषा बिल्कुल सरल लगेगी।


फिरोज मुन्तजिर की ये किताब पढ़ी जाए जौन एलिया के बारे में जानने के लिए। इस किताब को पढ़ना चाहिए शायरी को जानने के लिए। इस किताब को पढ़ना चाहिए जौन एलिया की नज्मों और गजलों के लिए। इस किताब को तो आपकी शेल्फ में होना चाहिए। जब कभी परेशान हों, मूड खराब हो तो इस किताब को उठाइए और पढ़ना शुरू कीजिए जौन की गजलें। यकीन मानिए सुकून मिलेगा।

अब नहीं कोई बात खतरे की, अब सभी को सभी से खतरा है।

किताब- जौन एलिया एक अजब गजब शायर
लेखक- मुन्तजिर फिरोजाबादी
प्रकाशन- हिन्दी युग्म
कीमत- 150 रुपए।

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